टूरिस्ट्स की पहली पसंद क्यों बना पहलगाम? जानिए इस हसीन वादी के 7 अनोखे राज़

कश्मीर की वादियों में कई खूबसूरत जगहें हैं, लेकिन पहलगाम की बात ही कुछ और है. यह सिर्फ एक हिल स्टेशन नहीं, बल्कि प्रकृति, संस्कृति, रोमांच और आस्था का अनोखा संगम है. बर्फीली चोटियों से घिरे हरियाले मैदान, शांत बहती लिदर नदी, प्राचीन मंदिर, और अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ, हर मोड़ पर पहलगाम आपको एक नई कहानी सुनाता है. तो आइए जानें, क्यों लाखों पर्यटक हर साल इस हसीन वादी की ओर खिंचे चले आते हैं.

1. प्रकृति की गोद में बसा स्वर्ग

लिद्दर नदी  की कलकल धारा, बर्फ से ढंके हिमालयी पहाड़ और हरियाली से लदे बुग्याल , पहलगाम की वादियों में हर कदम पर कुदरत का करिश्मा देखने को मिलता है. यहाँ की शांत फिज़ा और खुला आसमान सैलानियों को सुकून का अहसास कराते हैं.

2. ट्रैकिंग से लेकर स्कीइंग तक, रोमांच का ठिकाना

अगर आप रोमांच के शौकीन हैं, तो पहलगाम आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं लिदरवाट ट्रैक, कोलाहोई ग्लेशियर, और बेताब वैली जैसे रूट्स पर ट्रैकिंग, फिशिंग, पॉनी राइड और विंटर में स्कीइंग का मजा लिया जा सकता है.

3. अमरनाथ यात्रा का आधार, आध्यात्मिक आस्था की भूमि

हर साल लाखों श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा के लिए यहीं से अपनी यात्रा शुरू करते हैं. यह जगह धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है और श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव का केन्द्र बन चुकी है.

4. फिल्मों की पसंदीदा लोकेशन

बॉलीवुड को भी पहलगाम की वादियों से खास लगाव है. ‘बेताब’ (1983) जैसी फिल्मों की शूटिंग यहीं हुई थी, जिससे बेताब वैली का नाम पड़ा. इसने पहलगाम को दुनियाभर में पहचान दिलाई. यहाँ शूट की गई कुछ अन्य फ़िल्मों में स्कूल (2005), जब तक है जान (2012), हैदर (2014), हाईवे (2014), राज़ी (2018) और बजरंगी भाईजान (2015) शामिल हैं. बजरंगी भाईजान की मशहूर कव्वाली को अश्मुकाम की ज़ियारत में शूट किया गया था और भावनात्मक अंत को पहलगाम हिल स्टेशन की बैसरन घाटी में शूट किया गया था.

5. “पाहलगाम”, नाम में छिपा है इतिहास

इसका नाम दो कश्मीरी शब्दों से बना है, “पाहल” (गड़रिया) और “गाम” (गांव), यानी “गड़रियों का गांव”. यहाँ के हरे-भरे मैदान और चरागाह प्राचीन काल से ही बकरवाल और गुज्जर समुदायों के लिए आश्रय स्थल रहे हैं.

6. ममलेश्वर मंदिर, पौराणिक गाथाओं से जुड़ा धरोहर स्थल:

करीब 1600 साल पुराना यह शिव मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी कश्मीरी शैली की वास्तुकला, दो-मुंही नंदी की मूर्ति और गणेश जन्म की कथा से जुड़ी मान्यता इसे खास बनाती है.

7. बढ़ता पर्यटन, लेकिन सुरक्षा एक चुनौती

2024 में कश्मीर में रिकॉर्ड 2.35 करोड़ पर्यटक पहुंचे, जिनमें 43,000 विदेशी सैलानी भी शामिल थे. लेकिन अप्रैल 2025 की आतंकी घटना ने पर्यटन को झटका जरूर दिया है. फिर भी स्थानीय लोग और प्रशासन पर्यटन को फिर से पटरी पर लाने के प्रयास में जुटे हैं.

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